Monday, July 11, 2016

स्वीकारोक्ति

व्यक्ति जो कुछ होता है, सिर्फ अपनी वजह से ही होता है, उसके विचार, व्यवहार बेशक आस पास के वातवर्ण से प्रभिवित होते हैं लेकिन, उसका अपना व्यक्तित्व अपने ही कारण से होता है।
यह विचार आते आते कभी कभी बहुत देर हो जाती है

Sunday, June 19, 2016

जिंदगी के रंग

जिंदगी हर पल एक नया रंग लेकर सामने आती है। लाल रंग खुशी का है तो काला रंग, र्ंजो-गम से भरा है। हरा रंग हर ओर खुशियाली से भरा होता है, लेकिन क्या वास्तव में जिंदगी के ये रंग वही भाव देते हैं?
कभी कभी मन सोचता है, क्यूँ नहीं एक रंग कुछ समय तक हमारा साथ देता है। परिवर्तन का नियम क्यूँ सबकी जिंदगी पर एक सा लागू नहीं होता है। 

Thursday, March 24, 2016

मन

मन के खालीपन को जितना भरने की  कोशिश करते हैं, उतना ही खालीपन बढ़ता जाता है। पानी की तरह हर खुशी ऊपरी सतह पर तैरती महसूस होती है। 

Tuesday, January 12, 2016

रिश्ते

रिश्तों के जंगल में मन भटक गया है। कुछ रिश्ते मन से जुड़े हैं तो कुछ भावना से, कहीं प्रीत का बंधन है तो कहीं रीत का। कुछ ने जीवन भर का साथ दिया है तो कुछ न कुछ पलों का।

पलों में सदियाँ बिताने जैसा सुख मिला है तो कहीं उम्र भी कम है उन रिश्तों को समझने के लिए।

Thursday, December 31, 2015

क्या कहूँ...

...क्या कहूँ और क्या न कहूँ, इसी सोच में हमेशा मन उलझता रहता है। कभी लगता है,,,,,शायद, बहुत कुछ सोच लिया, लेकिन कुछ न कहा, तो कभी लगता है, कुछ न सोचते हुए भी बहुत कुछ कह दिया।
मन की उलझनों का कोई अंत नहीं है, और वहीं दूसरी ओर इन उलझनों के जवाबों का भी कोई अंत नहीं है।
शायद ज़िंदगी, इसी का नाम है.......